brain tumor

ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क या उसके आस-पास के ऊतकों में असामान्य कोशिकाओं का असामान्य वृद्धि है। यह दो प्रकार के हो सकते हैं:

बेनाइन (सौम्य) ट्यूमर: ये ट्यूमर गैर-कैंसरकारी होते हैं और सामान्यतः तेजी से नहीं बढ़ते।
मेलिग्नेंट (घातक) ट्यूमर: ये कैंसरकारी होते हैं और तेजी से बढ़ सकते हैं, जिससे मस्तिष्क के अन्य हिस्सों में फैलने का खतरा होता है।
ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों में सिरदर्द, मतली, उल्टी, दौरे, दृष्टि या सुनने में समस्या, स्मृति दोष, और व्यक्तित्व या व्यवहार में परिवर्तन शामिल हो सकते हैं। ट्यूमर का उपचार आकार, प्रकार, और स्थान के आधार पर किया जाता है, जिसमें सर्जरी, रेडियोथेरेपी, और कीमोथेरेपी शामिल हो सकते हैं।
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व्हाट इस द ब्रेन ट्यूमर
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ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क या उसके आस-पास के ऊतकों में असामान्य कोशिकाओं का असामान्य वृद्धि है। यह दो प्रकार के हो सकते हैं:

बेनाइन (सौम्य) ट्यूमर: ये ट्यूमर गैर-कैंसरकारी होते हैं और सामान्यतः तेजी से नहीं बढ़ते।
मेलिग्नेंट (घातक) ट्यूमर: ये कैंसरकारी होते हैं और तेजी से बढ़ सकते हैं, जिससे मस्तिष्क के अन्य हिस्सों में फैलने का खतरा होता है।
ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों में सिरदर्द, मतली, उल्टी, दौरे, दृष्टि या सुनने में समस्या, स्मृति दोष, और व्यक्तित्व या व्यवहार में परिवर्तन शामिल हो सकते हैं। ट्यूमर का उपचार आकार, प्रकार, और स्थान के आधार पर किया जाता है, जिसमें सर्जरी, रेडियोथेरेपी, और कीमोथेरेपी शामिल हो सकते हैं।





ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन कैसे होता है

ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन, जिसे क्रैनियोटॉमी कहा जाता है, एक जटिल प्रक्रिया है। यहाँ इस प्रक्रिया के मुख्य चरण दिए गए हैं:

तैयारी और पूर्व-प्रक्रिया जांच:

मरीज़ का संपूर्ण चिकित्सा परीक्षण किया जाता है।
MRI या CT स्कैन जैसी इमेजिंग तकनीकों का उपयोग करके ट्यूमर का स्थान और आकार निर्धारित किया जाता है।
एनेस्थीसिया:

मरीज़ को सामान्य एनेस्थीसिया दिया जाता है ताकि वह पूरी प्रक्रिया के दौरान सोया रहे और दर्द महसूस न हो।
इंकिशन (चीरना):

सर्जन मरीज़ की खोपड़ी पर एक चीरा लगाते हैं और कुछ हिस्से की हड्डी को हटाते हैं ताकि मस्तिष्क तक पहुंचा जा सके।
ट्यूमर का निकालना:

सर्जन माइक्रोस्कोप और अन्य उपकरणों का उपयोग करके ट्यूमर को हटाते हैं।
यदि ट्यूमर पूरी तरह से नहीं हटाया जा सकता, तो सर्जन जितना संभव हो सके उतना निकालने का प्रयास करते हैं।
खोपड़ी को पुनः जोड़ना:

ट्यूमर हटाने के बाद, हड्डी के हटाए गए हिस्से को वापस जगह पर रखा जाता है और स्किन को सिल दिया जाता है।
पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल:

ऑपरेशन के बाद मरीज़ को ICU में कुछ दिनों तक निगरानी में रखा जाता है।
शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक पुनर्वास किया जाता है।
फॉलो-अप:

सर्जरी के बाद नियमित चेक-अप और स्कैनिंग की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ट्यूमर वापस नहीं आया है।
इस प्रक्रिया में जोखिम और जटिलताएँ शामिल हो सकती हैं, जैसे संक्रमण, रक्तस्राव, न्यूरोलॉजिकल समस्याएँ आदि। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि यह ऑपरेशन एक अनुभवी न्यूरोसर्जन द्वारा ही किया जाए।

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